Saturday, 5 October 2013

SRI AMBEJI KI AARTI



SRI AMBEJI KI AARTI
AMBE TU HAI JAGADAMBE KALI 

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
 जय दुर्गे खप्पर वाली,  
तेर ही गुण गायें भारती,  
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती !
तेर भक्त जानो पर मैया भीड़ पड़ी है भारी,

 दानव दल पर टूट पड़ो माँ कर के सिंह सवारी !
  सो सो सिंघो से है बलशाली
है दस भुजाओं वाली
दुखिओं के दुखड़े निवारती !  !!अम्बे तू है !!
माँ बेटे की है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता,

 पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता ।  
सबपे करुना बरसाने वाली,  
अमृत बरसाने वाली,
 दुखिओं के दुखड़े निवारती !     !!अम्बे तू है !!
नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना,

 हम तो मांगे माँ तेरे मन में एक छोटा सा कोना ! 
 सब की बिगड़ी बनाने वाली,  
लाज बचाने वाली, सतिओं के सत को सवारती !    !!अम्बे तू है !!   

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