Tuesday, 8 October 2013

CHAM CHAM NACHE DEKO VEER HANUMANA




दोहा : नाच नाच कर राम को रिझये , भक्त बड़ा अलबेला
      श्री राम को वश मे करले, भकत हुआ है अकेला !!
                    अस्ताई
      छम छम नाचे देखो मेरे हनुमना !2
      कहेते है लोग ईसे राम का दीवाना !!2
                         अन्तरा
      पाँवो मे घुंगूरू बंद के नाचे ,
      रामजी का नाम इसे प्यारा लागे ,
      राम ने भी देखो इसे खूब पहचाना !!2
       छम छम नाचे ...............!!२!!
        जहाँ जहाँ कीर्तन होता श्री राम का
      लगता है पहेरा वहाँ विर हनुमान का,
      राम के चरण मे है इनका टिकना !!2
      छम छम नाचे ................!!२!!
      नाच नाच देखो श्री राम को रीझये
      बाँवरी रात दिन नाचता ही जाये ,
      भक्तो मे भक्त बड़ा, दुनिया ने माना !!2
      छम छम नाचे ...............!!२!!
            छम छम नाचे देखो मेरे हनुमना !2
      कहेते है लोग ईसे राम का दीवाना !!2
           छम छम नाचे देखो मेरे हनुमना !!...!!

DUNIYA CHALE NA SRI RAM KE BINA



DUNIYA CHALE NA SRI RAM KE BINA

दुनिया चले ना श्रीराम के बिना, राम जी चले ना हनुमान के बिना
राम जी चले ना हनुमान के बिना, राम जी चले ना हनुमान के बिना 2
जब से रामायण पढ ली है, एक बात मैने  समझ ली है
रावण मरे ना श्रीराम के बिना, लंका जले ना हनुमान के बिना (को)
      !!दुनिया चले ना…. बिना, राम जी चले ना बिना!!
लक्ष्मण का बचना मुश्किल था, कौन बूटी लाने के काबिल था
लक्ष्मण बचे ना श्रीराम के बिना, बूटी मिले ना हनुमान के बिना
      !!दुनिया चले ना…. बिना, राम जी चले ना बिना!!
सीतां हरण के कहानी सुनो, बनवारी मेरी जुबानी सुने
सीता मिलें ना श्रीराम के बिना, पता चले ना हनुमान के बिना
      !!दुनिया चले ना…. बिना, राम जी चले ना बिना!!
बैठे  सिंहासन पर श्रीराम जी, चरणों में बैठे श्री हनुमान जी
मुक्ति मिलें ना श्रीराम के बिना, भक्ति मिलें ना हनुमान के बिना
दुनिया चले ना श्रीराम के बिना, राम जी चले ना हनुमान के बिना
      !!दुनिया चले ना…. बिना, राम जी चले ना बिना!!

MAN MERA MANDIR AANKEIN DIYA BAATI



मन मेरा मंदिर आँखे दिया बाती,
होंठो की हैं थालिया, बोल फूल पाती।
रोम रोम जीभा तेरा नाम पुकारती,
आरती ओ मैया तेरी आरती,
ज्योतां वालिये माँ तेरी आरती॥

हे महालक्ष्मी हे गौरी, तू अपने आप है चोहरी,
तेरी कीमत तू ही जाने, तू बुरा भला पहचाने।
यह कहते दिन और राती, तेरी लिखीं ना जाए बातें,
कोई माने जा ना माने हम भक्त तेरे दीवाने,
तेरे पाँव सारी दुनिया पखारती॥

हे गुणवंती सतवंती, हे पत्त्वंती रसवंती,
मेरी सुनना यह विनंती, मेरी चोला रंग बसंती।
हे दुःख भंजन सुख दाती, हमें सुख देना दिन राती,
जो तेरी महिमा गाये, मुहं मांगी मुरादे पाए,
हर आँख तेरी और निहारती॥

हे महाकाल महाशक्ति, हमें देदे ऐसी भक्ति,
हे जगजननी महामाया, है तू ही धुप और छाया।
तू अमर अजर अविनाशी, तू अनमिट पूरनमाशी,
सब करके दूर अँधेरे हमें बक्शो नए सवेरे।
तू तो भक्तो की बिगड़ी संवारती॥

AARTI SRI AMBE JI KI




जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को,
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै,
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी,
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती,
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती,
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे,
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी,
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों,
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता॥

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी,
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती,
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥